स्त्री और स्वास्थ

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प्राकृतिक खान पान से लम्बे समय तक अपनी सेहत व् ख़ूबसूरती बनाये रखें !

अक्सर जब हम 35–40 के आस-पास होते हैं तो बढ़ती आयु के साथ- साथ त्वचा व् शरीर के अंगो  का  बदलाव आना एक सामान्य परकिरया है जिसे हम सबको झेलना होता है | यह प्रकिरिया हमारे शरीर को अंदर ही अंदर खोकला कर रही होती है और अनेक बिमारियों के जाल में फंसा देती है |

इनमे बहुत से रोग ऐसे हैं जिनका पता बहुत समय बीत जाने के बाद लगता है| जैसे की कैंसर, थाइरोइड, गंठिया, किडनी क्षति ग्रस्त होना, फेफड़ों का क्षति ग्रस्त होना व् डिप्रेशन | इनका दैनिक रूटीन में पता नहीं चलता और यह सभी रोग उस समय गहन मेडिकल टेस्ट्स से पता चलते हैं जब एडवांस स्टेज में पहुंच जाते हैं | इसका मुख्य कारण है केमिकल्स से निर्मित खाद, पेस्टीसाइड्स व् फल पकाने वाले मसालों के प्रयोग से उत्पादित अन्न, सब्ज़ियों, फल व् दालों के खान – पान से हमारे शरीर को होने वाली घातक हानि |

समय से पहले गालों का ढीला पढ़ना व् चेहरे पर सिलवटें/झुर्रियाँ पढ़ना

हमारे सारे अंग व् त्वचा नैनो सूक्षम सेल्ज़, टीशूज़, नसों इत्यादि से बने है | इन पर प्रभाव का एहसास हमें गालों व् चेहरे पर पड़ती झुरिओं व् त्वचा के ढीले पढ़ जाने पर अखरने लगता है जबकि यह परकिरया हमारे सारे शरीर में चल रही होती है | अगर इन सेल्ज़ को कोई बाहरी हानि न पहुंचे तो सामान्य आयु 50 – 55 के बाद ही इनका पतन शुरू होता है | परन्तु घातक  केमिकल्स इन सेल्ज़ को समापत करने का कार्य समय से पहले ही शुरू कर देते हैं | ढलती आयु साथ नए सेल्ज़ बनने की परकिरिया धीमी पढ़ जाती है मगर पुराने सेल्ज़ के क्षति ग्रस्त होने की परकिरिया तेज़ हो जाती है | परिणाम स्वरूप त्वचा के सेल्ज नष्ट हो जाने के कारण त्वचा लटकने लग जाती है और चेहरे पर सिलवटें व् झुर्रियां पढ़ जाती हैं जिससे हम आयु से पूर्व ही अपनी वास्तविक आयु से कहीं ज़्यादा आयु के दिखने लगते हैं |

हमारे सारे अंग व् त्वचा नैनो सूक्षम सेल्ज़, टीशूज़, नसों इत्यादि से बने है | इन पर प्रभाव का एहसास हमें गालों व् चेहरे पर पड़ती झुरिओं व् त्वचा के ढीले पढ़ जाने पर अखरने लगता है जबकि यह परकिरया हमारे सारे शरीर में चल रही होती है | अगर इन सेल्ज़ को कोई बाहरी हानि न पहुंचे तो सामान्य आयु 50 – 55 के बाद ही इनका पतन शुरू होता है | परन्तु घातक  केमिकल्स इन सेल्ज़ को समापत करने का कार्य समय से पहले ही शुरू कर देते हैं | ढलती आयु साथ नए सेल्ज़ बनने की परकिरिया धीमी पढ़ जाती है मगर पुराने सेल्ज़ के क्षति ग्रस्त होने की परकिरिया तेज़ हो जाती है | परिणाम स्वरूप त्वचा के सेल्ज नष्ट हो जाने के कारण त्वचा लटकने लग जाती है और चेहरे पर सिलवटें व् झुर्रियां पढ़ जाती हैं जिससे हम आयु से पूर्व ही अपनी वास्तविक आयु से कहीं ज़्यादा आयु के दिखने लगते हैं |

  1. विटामिन E से भरपूर पदार्थों का सेवन

विटामिन E एक मुख्य एंटी-ऑक्सीडेंट है यानी की यह शरीर  के टिशू  को क्षति ग्रस्त होने से रोकता है | इससे त्वचा का दुर्बल होना व् हमारा समय से पहले वृद्धा होना रुक जाता है |  इसके अतिरिक्त विटामिन E एक मुख्य इम्युनिटी बनाये रखने वाला केमिकल है जो शरीर में हानि कारक बैक्टीरिया को बिना किसी दवा के पनपने से रोकता है | विटामिन इ रक्त् में लाल रंग वाले सेल्ज़ को बनता है जो हमारे शरीर में अनेमिया का रोग नहीं होने देता | इस लिए हर स्त्री के लिए यह वैसे भी आवश्यक है की वो विटामिन E की कमीं न होने दें

शरीर के अंगो व् त्वचा के सेल्ज़ बनाने का मुख्य कार्य विटामिन E के द्वारा होता है | अगर आप ऐसे पदार्थों का सेवन अधिक से अधिक करें जिनमे विटामिन E की  मात्रा अधिक हो तो इससे नए सेल्ज़ बनने की परकिरिया लम्बे समय तक ज़ारी रहेगी और पुराने सेल्ज़ के क्षति ग्रस्त होने की परकिरिया समय अनुसार धीमी रहेगी | परिणाम स्वरूप आप के चेहरे व् अन्य अंगो का समय से पहले ही ढीला पड़ना रुक जायेगा |

विटामिन E एक मुख्य एंटी-ऑक्सीडेंट है यानी की यह शरीर  के टिशू  को क्षति ग्रस्त होने से रोकता है | इससे त्वचा का दुर्बल होना व् हमारा समय से पहले वृद्धा होना रुक जाता है |  इसके अतिरिक्त विटामिन E एक मुख्य इम्युनिटी बनाये रखने वाला केमिकल है जो शरीर को बिना किसी दवा के हानि कारक बैक्टीरिया को समाप्त करता है | विटामिन इ रक्त् में लाल रंग वाले सेल्ज़ को बनता है जो हमारे शरीर में अनेमिया का रोग नहीं होने देता | इस लिए स्त्री के लिए यह वैसे भी वश्यक है की वो विटामिन E की कमीं न होने दें |

रसोई – घर में नियमित रूप से प्रयोग होने वाले विटामिन E से भरपूर पदार्थ प्रयोग करें

Sun Flower रिफाइंड आयल:  इस रिफाइंड तेल में विटामिन E की मात्रा बहुत अधिक होती है | एक चमच्च  Sun Flower तेल में लगभग 65 % विटामिन इ की मात्रा होती हैं :Sun फ्लावर रिफाइंड तेल के प्रयोग से हमारे शरीर में विटामिन E की पूर्ती नियमित होती रहती है जो आप के शरीर में इसकी कमी नहीं होने देगा | Fortune व् बाबा राम देव की कंपनियाँ Sun Flower तेल बनाती हैं |

पालक : Sun Flower रिफाइंड की तरह पालक ऐसी सब्ज़ी है जो विटामिन E व् अन्य मिनरल्स/ विटामिन्स से भरपूर है |पालक के सब्ज़ी व् सलाद अत्यंत पौष्टिक और स्वास्थ वर्धक है
 जो अनेक रोगों को रोकती है | कोशिश करें की पालक की सब्ज़ी व् सलाद  अधिक से अधिक प्रयोग करें |

पालक में पाए जाने वाले मुख्य पौष्टिक तत्व

Sr. No.NutrientsDV
1.Calories7
2.Vitamins:
K
A
C
E
B6
 
180%
55%
15%
3%
3%
3.Iron in different forms5%
4.Manganese15%
5.Magnesium6%
6.Potassium5%
7.Phosphorus2%

सोया : दालों में सोया ऐसी दाल है जिसमे विटामिन E काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है |  समय- समय पर इसका सेवन करती रहें और अपना स्वास्थ्य बनाये रखें | दालों के अतिरिक्त आप सोया की न्यूट्री भी प्रयोग करती रहें |

2. गेहूं के बीज का तेल

हालाँकि यह रसोई- घर में प्रयोग होने वाले तेल नहीं हैं परन्तु सप्ताह में २-३ बार इनकी 4 -5 बूँद लेते रहना चाहिए | वीट जर्म में विटामिन E सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है इसकी मात्रा 165 % तक होती है और ये त्वचा, रक्त व् अन्य अंगो के सेल्स / टीसूज़ को क्षति ग्रस्त होने से रोकने में बहुत सहायक होता है | बादाम रोगन व् बादाम का तेल भी इसी प्रकार से विटामिन E से भरपूर है |यह दोनों आपके शरीर व् पेट को नियमित रूप से साफ़ रखने में भी सहायक होते हैं जिससे पेट की बीमारियां कम से कम होती हैं |

3. कीवीफल

कीवी फल विश्व भर में पाए जाने वाले सबसे अधिक शक्ति वर्धक फलों में से एक है | इसमें विटामिन C बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है जो की शरीर को स्वास्थ्य बनाये रखने में उपयोगी है | विटामिन C में हर प्रकार की इन्फेक्शन समापत करने व् ज़ख्मो / घाव को भरने की प्रकृतिक शक्ति है | अगर आप माँ बनने का सुखद अनुभव करने जा रही हैं और मेडिकल साइंस से
जुड़े वैज्ञानिको की माने तो स्वस्थ रहने के लिए सबसे उत्तम व् आसान तरीका विटामिन C का उपयोग है | इस समय पर इसकी आवश्यकता महिला और शीशु दोनो को होती है | इसके साथ- साथ विटामिन C त्वचा को स्वस्थ रखता है और इसमें सिलवटें नहीं आने देता | विटामिन C दृष्टि को लम्बे समय तक ठीक-ठाक रखने व् आँखों के रोगों के लिए भी उपयोगी है |

हमारे मे से कोई भी अनावश्यक दृष्टि का चश्मा लगाना नहीं चाहेगा |

हालाँकि इसका प्रयोग डेंगू रोग के दौरान प्लेटलेट्स कम हो जाने की परस्थिति में अधिक किया जाता है मगर इसको नियमित रूप में खाने से शरीर में कई मुख्य मिनरल्ज़ व् विटामिन की कमी नहीं होती |

कीवी फल में मुख्य नीचे लिखे पौष्टिक तत्व होते हैं |

Sr. No.CompoundsDV per Kiwi
1.Vitamin C105%
2.Vitamin E8%
3.Vitamin K30%
4.Potassium6%
5.Proteins2%
6.Dietary Fibres10%
7.Calories40

4. शरीर कोअंदर से टॉक्सिन रहित व् खून साफ़ रखने के लिए किन्नौ फल ( Kinow ) आवश्य खाएं

केमिकल्ज़ से बने फर्टीलिज़ेर्स , पेस्टीसाइड्स इत्यादि के उपयोग से उगाई गई सब्ज़ियां, फल व् अन्न खाने से हमारे अंदर बेहद खतरनाक व् हानिकारक टॉक्सिन्स इकठा हो जाते हैं जो किडनी, फेफड़ों व् आँतों को रोग ग्रस्त तो करते ही हैं साथ- साथ जीवन को लील लेने वाले कैंसरस भी करते हैं इसके लिए यह आवश्यक है की शरीर के अंदर पैदा हुए टॉक्सिन्स की निकासी नियमित रूप से होती रहे | kinnow फल में इन टॉक्सिन्स को समापत करने व् खून को साफ़ रखने की एक अद्भुद क्षमता है जो दूसरे फलों में नहीं है | किन्नौ 6 प्रकार के कैंसरस समापत करता है जिनमे स्त्रियों में होने वाले ब्रेस्ट व् ओवेरियन कैंसरस भी सम्लित हैं | कैंसरस के साथ- साथ किन्नौ पेट व् आंतो के रोग ठीक करता है |किन्नौ में फ्रूटकोज़, ग्लूकोज़ व् सिरकोज़ बेहद ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं जो आप को सस्ते में शक्ति प्रदान करता है | इसलिए किन्नौ की गिनती शक्ति वर्धक फलों में होती है | यह पदार्थ दूध में भी इतनी मात्रा में नहीं पाए जाते |

किन्नौ में प्राकृतिक एन्ज़ाइम्ज़ होते हैं जो एसिडिटी व् पेट में गैस / बदहज़मी नहीं होने देते | पुराने से पुराने एसिडिटी रोग व् बड़े हुए पेट के लिए किन्नौ सर्वश्रेष्ठ है और थोड़े समय तक
किन्नौ खाने से यह दोनों समाप्त हो जाते हैं | किन्नौ उलटी-वमन व् बदहज़मी/ अपच इत्यादि भी तुरंत ठीक करता है किन्नौ का नियमित उपयोग करते रहने से चेहरे पर कील, मुहांसे व्ब्लैक हेड्स इत्यादि भी नहीं होते | इसके अतिरिक्त kinnow में विटामिन C सहित अन्य बहुत से विटामिन व् मिनरल होते हैं जो आप को हर प्रकार से स्वास्थय रखते हैं |

3. खून की कमी, एनीमियाव्लाल रक्त कण बढ़ाने के लिए चुकंदर का उपयोग करें

आप यह जान कर हैरान होंगी की वृद्ध लोगो में किसी को भी न पहचानने व् कुछ भी याद न रहने की बीमारी – ऐलज़हिमेरज ब्रेन सैल्ज़/ न्यूरॉन्स कोशिकाएं नष्ट होने से होती है और अभी तक आपने इस बीमारी का कोई वृद्ध स्त्री-पुरष ठीक होता नहीं देखा होगा क्योंकि जो कोशिकाएं – सैल्ज़ नष्ट हो जाते हैं, वह ठीक नहीं हो सकते और वृद्ध आयु में नए सैल्ज़ का बनना असंभव है | मगर आप अपनी सूझ -बूझ के साथ लाभ कारी फल सब्ज़ियों के प्रयोग से ब्रेन कोशिकाएं न्यूरॉन्स का नष्ट होना रोक सकती हैं |

चुकंदर ब्रेन / दिमाग के लिए बहुत उपयोगी है और ब्रेन सैल्ज़ (न्यूरॉन्स) को स्वस्थ प्रदान करता है चुकंदर के प्रयोग से शरीर के अंदर इकठा हुए टॉक्सिन्स की निकासी सहज ही हो जाती है जिस से लिवर,किडनी और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं और कैंसर के होने की संभावना बहुत कम हो जाती है |इसके उपयोग से स्ट्रेस्स व् डिप्रेशन के रोग नहीं होते |

चुकंदर में खून के कण उत्पादित करने वाले पौष्टिक तत्व आयरन, फोलेट (विटामिन बी-2), विटामिन B – राइबोफ्लेविन, व् विटामिन बी-6 बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं |इसके नियमित उपयोग से खून की कमी की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है |वैसे तो हर स्त्री के लिए मगर जो स्त्रियां परिवार को आगे बढ़ाने के मार्ग पर हों, उनके लिए चुकंदर एक वरदान है | जितनी पौष्टिक शक्ति चुकंदर फल में है, उससे कहीं अधिक शक्ति इसकी पत्तिओं में है | इस लिए जब भी चुकंदर खरीदें, ताज़ा और पतियों सहित खरीदें इन पत्तियों का उपयोग सलाद में करें या साग में करें | चुकंदर में कैंसर को रोकने की क्षमता है |

चुकंदर में मुख्यता नीचे लिखे पौष्टिक तत्व होते हैं |

Sr. No.CompoundsDV
1.Folate (B2)37%
2.B65%
3.Vitamin C11%
4.Riboflavin3%
5.Manganese22%
6.Potassium13%
7.Iron6%
8.Magnesium8%
9.Copper5%
10.Dietary fiber15%

अगर आप स्वास्थ वर्धक पदार्थों का उपयोग नियमित रूप से करती रहेंगी तो बीमारी की परेशानी से भी बचेंगी, दवाओं से होने वाले साइड इफेक्ट्स से भी बचेंगी और इलाज के भारी- भरकम खर्चे से भी|

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